रवांडा नरसंहार को इस वर्ष पूरे 20 साल हो गए। ये नरसंहार
तुत्सी और हुतु समुदाय के लोगों के बीच एक जातीय संघर्ष था। लगभग 100 दिन
चले इस नरसंहार में पांच से 10 लाख लोग मारे गए थे। तब ये आंकड़ा देश की
आबादी के करीब 20 फीसदी के बराबर था।
सोमालिया स्थित आतंकी संगठन अल-शबाब विशेष रूप से यहां के अल्पसंख्यकों को लिए घातक है। केन्या से लगती देश की दक्षिणी सीमा पर इसका खासा वर्चस्व है। रिपोर्टों के मुताबिक, संगठन में लगभग पंद्रह हजार आतंकवादी हैं। अल-शबाब खुद को इस्लाम के दुश्मनों को खिलाफ जिहाद की बात करता है। इसके अलावा ये शरिया कानून की भी वकालत करता है। सोमालिया भर में इस संगठन ने आतंक मचा रखा है।
दक्षिणी सूडान में जातीय हिंसा जारी है। 2011 में सूडान से अलग देश बने दक्षिण सूडान में दिसंबर में हिंसा भड़क गई थी। राष्ट्रपति सल्वा कीर और उपराष्ट्रपति रिक माशर समर्थित सेना के बीच जारी हिंसा में तकरीबन 10 लाख लोगों को अपना
पूरा समाचार यहां है।
Source link: http://www.bhaskar.com/article/INT-these-10-countries-are-most-at-risk-of-mass-killings-4601588-PHO.html?seq=3
6 अप्रैल 1994 को किगली में विमान में बोर्डिंग के दौरान रवांडा के
राष्ट्रपति हेबिअरिमाना और बुरुन्डियान के राष्ट्रपति सिप्रेन की हत्या कर
दी गई थी। इसी का नतीजा था यह नरसंहार।
पहली बार यूक्रेन शामिल
हाल ही में एक रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें ब्रिटिश गैर-लाभ अल्पसंख्यक
अधिकार समूह ने कई देशों में चरम जातीय या सांप्रदायिक हिंसा के खतरा को
लेकर चेतावनी दी है। 2014 के वार्षिक सर्वेक्षण में यूक्रेन को पहली मर्तबा
इस सूची में डाला गया है। रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा और पूर्वी यूक्रेन
में हालिया घटना को लेकर समूह की रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है।
ये लगातार सूची में बने हुए हैं
सांप्रदायिक या जातीय हिंसा से लोगों के खतरे को लेकर इस तरह के
सर्वेक्षण की शुरुआत 2005 में हुई। तब से सोमालिया, सूडान, अफगानिस्तान और
इराक समेत चार देश लगातार शीर्ष पर बने हुए हैं। इस साल और भी कई देशों को
शामिल किया गया है। इनमें मिस्र, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, गिनी बिसाऊ और
माली शामिल है।
सोमालिया
सोमालिया स्थित आतंकी संगठन अल-शबाब विशेष रूप से यहां के अल्पसंख्यकों को लिए घातक है। केन्या से लगती देश की दक्षिणी सीमा पर इसका खासा वर्चस्व है। रिपोर्टों के मुताबिक, संगठन में लगभग पंद्रह हजार आतंकवादी हैं। अल-शबाब खुद को इस्लाम के दुश्मनों को खिलाफ जिहाद की बात करता है। इसके अलावा ये शरिया कानून की भी वकालत करता है। सोमालिया भर में इस संगठन ने आतंक मचा रखा है।
सूडान
दक्षिणी सूडान में जातीय हिंसा जारी है। 2011 में सूडान से अलग देश बने दक्षिण सूडान में दिसंबर में हिंसा भड़क गई थी। राष्ट्रपति सल्वा कीर और उपराष्ट्रपति रिक माशर समर्थित सेना के बीच जारी हिंसा में तकरीबन 10 लाख लोगों को अपना
घर छोड़कर दूसरे शहरों में मजबूरन शरण लेना पड़ा है। इस जातीय हिंसा
में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि
यहां गैर-नुएर समुदाय के लोगों व विदेशियों को चुन-चुनकर मारा गया है।
पूरा समाचार यहां है।
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