पीटीआई, वॉशिंगटन
हर साल करीब दस लाख बच्चे टीबी की चपेट में आ जाते हैं। यह संख्या वैज्ञानिकों के लगाए हुए अनुमान से भी दोगुना है। ब्रिगहम ऐंड विमन हॉस्पिटल ऐंड हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं के मुताबिक हर साल करीब 10 लाख बच्चे टीबी की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह संख्या उनके पास आए मरीजों की संख्या से भी तीन गुना ज्यादा है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हर साल करीब 32 हजार बच्चे मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) की चपेट में आते हैं। बीडब्लयूएच के टेड कोहेन ने कहा कि वैसे तो दुनिया में करीब एक चौथाई जनसंख्या बच्चों की है लेकिन फिर भी ऐसा कोई पुराना अनुमान नहीं है कि कितने बच्चे एमडीआर-टीबी से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि हमारा अनुमान 2011 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के टीबी के संदर्भ में दिए गए अनुमान से भी दोगुना है। यह डाटा जमा करने के लिए शोधकर्ताओं ने कई सोर्सेज का इस्तेमाल किया और साथ ही पुरानी बीमारी ठीक करने के लिए नई तकनीक भी इजाद की जो खासकर बड़े लोगों पर इस्तेमाल की जाती है।
पूरा समाचार यहां है।
Source link http://navbharattimes.indiatimes.com/world/america/10----/articleshow/32617409.cms
हर साल करीब दस लाख बच्चे टीबी की चपेट में आ जाते हैं। यह संख्या वैज्ञानिकों के लगाए हुए अनुमान से भी दोगुना है। ब्रिगहम ऐंड विमन हॉस्पिटल ऐंड हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं के मुताबिक हर साल करीब 10 लाख बच्चे टीबी की बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह संख्या उनके पास आए मरीजों की संख्या से भी तीन गुना ज्यादा है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि हर साल करीब 32 हजार बच्चे मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) की चपेट में आते हैं। बीडब्लयूएच के टेड कोहेन ने कहा कि वैसे तो दुनिया में करीब एक चौथाई जनसंख्या बच्चों की है लेकिन फिर भी ऐसा कोई पुराना अनुमान नहीं है कि कितने बच्चे एमडीआर-टीबी से पीड़ित हैं। उन्होंने बताया कि हमारा अनुमान 2011 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के टीबी के संदर्भ में दिए गए अनुमान से भी दोगुना है। यह डाटा जमा करने के लिए शोधकर्ताओं ने कई सोर्सेज का इस्तेमाल किया और साथ ही पुरानी बीमारी ठीक करने के लिए नई तकनीक भी इजाद की जो खासकर बड़े लोगों पर इस्तेमाल की जाती है।
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