Indians against indian high commission (भारतीयों के साथ कूड़े जैसा बर्ताव बंद करो)

इंडिया हाउसलंदन में इस पूरे मामले की पहल की है अरुण अशोकन ने और उन्होंने भारतीय उच्चायोग, भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और प्रवासी मामलों के मंत्री वायलार रवि को इस संबंध में पत्र लिखा है.
अरुण के मुताबिक, ''उच्चायोग में कोई काम हो तो सुबह 6:00 से 9:45 बजे तक लाइन में खड़े रहना पड़ता है. गर्भवती महिला हो या बैसाखी पर कोई शख़्स, वो भी उसी क़तार में खड़े रहते हैं. अंदर जाने पर पता चलता है कि जो दस्तावेज़ हम लाएं हैं, वो पूरे नहीं हैं, क्योंकि उच्चायोग की वेबसाइट पर जो जानकारी है, वही आधी-अधूरी है.''
उनका कहना है, ''जब हम दस्तावेज़ उच्चायोग में काम करने वालों को देते हैं, तो वो नाराज़ होते हैं. हम कहते हैं कि दूसरे देशों में भेदभाव होता है. लेकिन जब हम भारतीय ही भारतीय उच्चायोग जाते हैं, और हमारे ही अधिकारी हम पर चिल्लाते हैं, बुरी तरह बात करते हैं, तो बहुत खराब लगता है. भारत इतना बड़ा आईटी पॉवर है, लेकिन हमारे उच्चायोग के लिए अपनी वेबसाइट अपडेट रखना मुश्किल लगता है.''

Source link: http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2014/05/140509_indians_against_indian_high_commission_sdp.shtml

No comments:

Post a Comment

News Headlines