इंटरनेशनल डेस्क। म्यांमार प्राकृतिक संसाधनों में काफी समृद्ध
है। लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा अभी भी अप्रयुक्त है। देश में 50 साल से
सैन्य शासन द्वारा लगाए गए राजनीतिक प्रतिबंधों ने विदेशी निवेश को दूर रखा
है। यही वजह है कि तेल व गैस उद्योग अब तक आधुनिकीकरण की बाट जोह रहे हैं।
तेल उद्योग के बड़े खिलाड़ियों की जगह, यहां स्थानीय उद्यमी हजारों
मजदूरों के श्रम का इस्तेमाल पारंपरिक तरीके से लाभ कमा रहे हैं।
ऐसे निकाल रहे तेल
किसी तेल के कुंए को खोदने के लिए मजदूर ट्राइपॉड नुमा (तीन टांग वाला) बांस या फिर पेड़ के तने का पोल गाड़ लेते हैं। ये करीबन 40-50 फीट ऊंचे होते हैं। जिसमें चरखी के मदद से ड्रिलिंग मशीन लगाकर तेल खींचा जाता है। तेल की सतह तक पहुंचने के लिए मजदूर घंटों इस प्रक्रिया से गुजरते हैं।
किसी तेल के कुंए को खोदने के लिए मजदूर ट्राइपॉड नुमा (तीन टांग वाला) बांस या फिर पेड़ के तने का पोल गाड़ लेते हैं। ये करीबन 40-50 फीट ऊंचे होते हैं। जिसमें चरखी के मदद से ड्रिलिंग मशीन लगाकर तेल खींचा जाता है। तेल की सतह तक पहुंचने के लिए मजदूर घंटों इस प्रक्रिया से गुजरते हैं।
करते हैं कठिन परिश्रम
इस कठिन परिश्रम के बाद इकलौता मजदूर दिनभर में 300 बैरल कच्चा तेल
इकट्ठा करता है। इसकी कीमत 3,000 डॉलर यानी भारतीय मुद्रा में एक लाख 80
हजार पांच सौ पच्चीस रुपए होती है, जिसे फिर स्थानीय रिफाइनरी को बेच दिया
जाता है।
पूरा समाचार यहां है।
Source link: http://www.bhaskar.com/article-rk/INT-myanmars-manual-oil-drills-4603694-PHO.html
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