इस छोटे द्वीप पर 50 साल से चार देश कर रहे हैं अपना-अपना दावा, जानिए क्यों

इस छोटे द्वीप पर 50 साल से चार देश कर रहे हैं अपना-अपना दावा, जानिए क्यों

स्कॉटलैंड के पश्चिमी तट से 480 किमी दूर है रॉकऑल। 21 मीटर ऊंचा और 25 मीटर चौड़ा, यह द्वीप लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय विवाद की वजह बना हुआ है। ब्रिटेन, आयरलैंड, आइसलैंड और डेनमार्क सभी देशों ने इस छोटे से द्वीप पर दावा किया है। ऐसा क्या है जो समुद्र के बीच इस छोटे से पहाड़ी द्वीप पर सबकी निगाह है।
दरअसल, इस द्वीप के आसपास तेल और गैस के भंडार होने के साथ ही यहां मछलियों की भरमार है। ज्वालामुखी ग्रेनाइट से बना यह द्वीप एक विशाल शार्क के फिन की तरह दिखता है। हालांकि इस जगह की जानकारी 16वीं सदी से थी, मगर 19वीं सदी तक यहां कोई नहीं पहुंचा था। 21 सितंबर 1995 को रॉयल नेवी का हेलिकॉप्टर इस द्वीप पर उतरा था। तीन सैनिक और एक वैज्ञानिक ने यहां रानी एलिजाबेथ के नाम का ब्रिटिश झंडा फहराया था।
1972 में ब्रिटिश संसद ने 'रॉकऑल एक्ट' पास कर द्वीप को यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा घोषित किया। अंतरराष्ट्रीय कानून की वजह से यह ब्रिटिश दावा खारिज हो गया। कानून के मुताबिक ऐसी जगह, जहां कोई नहीं रहता, वहां कोई इकोनॉमिक जोन डेवलप नहीं हो सकता है।
ब्रिटिश सैनिक टॉम मैक्लीन इसे अपना साबित करने के लिए 1985 में यहां 40 दिनों के लिए रुके थे, मगर 1997 में ग्रीनपीस एक्टिविस्ट यहां आकर 42 दिन रुक गया। उसने इसे माइक्रोनेशन घोषित कर वेवलैंड नाम दे दिया। आज भी यह विवाद जारी है।

पूरा समाचार यहां है।

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