
अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जब उत्तरी दिल्ली के बाल सुधार गृह से 33 नाबालिग फरार हो गए। सिर्फ फरार नहीं हुए बल्कि 6 घंटे तक जमकर हुड़दंग मचाया। कर्मचारियों पर जलते हुए गैस सिलेंडरों से हमला किया और जमकर आगजनी की। वो इसलिए भागे क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें ड्रग्स देने से इनकार कर दिया था। जी हां, ये सच है और इसका खुलासा किया इसी सुधार गृह में रह चुके दो पूर्व नाबालिग कैदियों ने। उन्होंने बताया कि किस तरह किशोरों को सही रास्ता बताने वाली ये जगह अपराध की नर्सरी बनती जा रही है।
नाबालिग कैदियों के मुताबिक अंदर नशा भी आता है। बीड़ी, सिगरेट अंदर भी चलती है। सब चीज होती हैं अंदर। बस पैसे देने पड़ेंगे। गांजा, दारू तक आती है। सुपरिटेंडेंट नहाने के लिए जो साबुन देता है उसे कैदी चौकीदार को दे देते हैं और बदले में गांजा-तंबाकू ले लेते हैं। 10 साबुन बाहर देते थे तो बीड़ी का एक बंडल मिलता था।
इन कैदियों के मुताबिक हर जगह का कोई दादा होता है। अंदर बड़े-बड़े लड़के हेड होते हैं। जैसे 60 लड़कों का ग्रुप हुआ तो वो सबका भाई। वो जो कहेगा सब मानेंगे। अगर कोई शिकायत करेगा तो और मार खाएगा। बार-बार मार खाने से बढ़िया है एक ही बार मार खा लो।
इन कैदियों ने बताया कि ज्यादातर गैंग अंदर ही बनती हैं। बाहर से तो बहुत कम बनती हैं। चोरी-चकारी करेंगे। किसी का मर्डर कर देंगे। किसी का मर्डर करना हो तो कहते हैं कि बड़ा आदमी करेगा तो उसको तिहाड़ जाना पड़ेगा। एक नाबालिग लड़का करता है तो उसको ज्यादा से ज्यादा 3 साल की सजा होगी इसलिए लड़कों से करवाते हैं।
साफ है कि जुवेनाइल कानून का फायदा उठाकर नाबालिगों को हत्यारा बनाया जा रहा है। अपराध की ऐसी दुनिया में उन्हें धकेला जा रहा है जहां से निकलना नामुमकिन है। बाल सुधार गृह में काम करने वाले कर्मचारियों ने भी खुफिया कैमरे के सामने दिल दहलाने वाले खुलासे किए। उनका कहना है कि नाबालिग उन्हें मौजूदा कानून का डर दिखाकर धमकाते हैं। डर के मारे कई बार वो सुधार गृह में होने वाली मारपीट और गालीगलौच की अनदेखी कर देते हैं।
पूरा समाचार यहां है।
Sources: http://khabar.ibnlive.in.com/news/110730/3/20?from=RHS
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